तुजसे ही मेरी सुबह है, तुजसे ही मेरी साम है
चाय तेरा नशा कुछ इस कदर है मुजपे की
तेरे बिना मेरी झिंदगी ही आम है!
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तुजसे ही मेरी सुबह है, तुजसे ही मेरी साम है
चाय तेरा नशा कुछ इस कदर है मुजपे की
तेरे बिना मेरी झिंदगी ही आम है!